Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 76
________________ सूयगडम्मि [2. 1. 9. 20माणे । जेसिं तं असन्ते असंविजमाणे तेसिं तं सुयस्खायं भवइ-अन्नो भवइ जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा ते एवं नो विपडिवेदेन्ति-अयमाउसो आया दीहे त्ति वा हस्से त्ति वा परिमण्डले ति वा बट्टे त्ति वा तंसे त्ति वा चउरंसे त्ति वा आयए त्ति वा छलंसिए ति वा अहंसे ति वा किण्हे त्ति वा नीले त्ति वा लोहियहालिदे त्ति वा सुकिल्ले ति वा सुब्भिगन्धे त्ति वा दुब्भिगन्धे ति वा तिते त्ति वा कडुए ति वा कसाए त्ति वा अम्बिले त्ति वा महुरे ति वा कक्खडे त्ति वा मउए त्ति वा गुरुए त्ति वा लहुए ति वा सीए ति वा उसिणे ति वा निद्धे त्ति वा लुक्खे त्ति वा । एवं असन्ते असंविजमाणे । जेसिं तं सुयक्खायं भवइअन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा ते नो एवं उवलब्भन्ति । से जहानामए--केइ पुरिसे कोसीओ असिं अभिनिवट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो असी अयं कोसी, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे अभिनिवट्टित्ता णं उबदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । ले जहानामएकेइ पुरिसे मुञ्जाओ इसियं अभिनिवट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो मुजे इयं इसियं, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे मंसाओ अहिं अभिनियट्टित्ता णं उवदंसेजा अयमाउसो मंसे अयं अट्ठी, एवमेव नत्थि केइ पुरिसे उबदसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे करयलाओ आमलकं अभिनिव्वट्टित्ता णं उबदंसेजा अयमाउसो करयले अयं आपलए, एवमेव नथि केइ पुरिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो आया इयं सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे दहीओ नवणीयं अभिनिव्वट्टित्ता णं उबदंरोजा अयमाउसो नवणीयं अयं तु दही, एवमेव नथि केइ पुरिसे जाव सरीरं। से जहानामए केइ पुरिसे तिलहिन्तो तेलं अभिनिव्वट्टित्ता गं उवदंसेजा अयमाउसो तेल्लं अयं पिण्णाए, एवमेव जाव सरीरं । से जहानामए-केइ पुरिसे इक्वओ खोयरसं अभिनिव्वट्टित्ता

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