Book Title: Suyagadam Part 01 Author(s): P L Vaidya Publisher: Motilal ShethPage 67
________________ 1. 16. 1.] गाहज्य अणुत्तरे य ठाणे से कासवेण पवेइए । जं किया निव्बुडा एगे नि पावन्ति पण्डिया ॥ २१ ॥ पण्डिए वीरियं लद्धुं निग्वायाय पवत्तगं । धुणे पुण्वक कम्मं नवं वा वि न कुव्वई ।। २२ ।। न कुवई महावीरे अणुपुचकडं रयं । रयसा संमुहीभूया कम्मं चाण जं मयं ॥ २३ ॥ जं मयं सव्वसाहूणं तं मयं सलगत्तणं । साहइताण तं तिष्णा देवा वा अभविसु ते ॥ २४ ॥ अभविसु पुरा धीरा आगमिस्सा वि सुव्वया । दुनिवोस मग्गस्स अन्तं पाउकरा ति ।। २५ ॥ त्ति बेमि ॥ आयाणियज्झयणं पण्णरहमं गाहज्झयणे सोळसमे ६१ I. 16. अहाह भगवं - - एवं से दन्ते दविए वोसहकाए ति वचे माहणे त्ति वा १ समणेति वा २ भिक्खुत्ति वा ३ निग्गन्थे ति वा ४ । पडिआह-मन्ते कहं नु दन्ते दविए बोसडकाए ति बच्चे माहणे तिवा समणेति वा भिक्खुत्ति वा निग्गन्थे त्ति वा । तं नो ब्रूहि महामुनी || इति विर साम्मे हिं पिजदोसकलह अभक्खाण० पेमुन्न० परपरिवाय० अरहर० मायामोस० मिच्छादंसण सह्यविरए समिए सहिए सया जर नो कुज्झे नो माणी माहणेति वच्चे ॥ १॥ एत्थ व समणे अनिस्सिए अणियाणे आयाणं च अवायं च मुसावायं च वहिद्धं च कोई च माणं च सायं च लोहं च पिजं चPage Navigation
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