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विषय सूची
गाथा ८० की विषय वस्तु आत्मज्ञतापूर्वक मिथ्यात्व के नाश का उपाय स्वर्ण के दृष्टान्त द्वारा अरहन्त की आत्मा को समझना
सत्समागम की आवश्यकता
अरहंत की आत्मा शुद्ध स्वर्ण के समान शुद्ध है
अरहंत की आत्मा और हमारी आत्मा में अन्तर कहाँ है ? अरहंत की आत्मा द्वारा अपनी आत्मा को समझने की विधि
आत्मज्ञता प्राप्त करने का उपाय
भगवान अरहन्त की सर्वज्ञता
वीतरागता
भगवान अरहंत की आत्मा का स्वरूप
अरहंत का ज्ञान
ज्ञान की स्व पर को जानने की प्रक्रिया ज्ञान की सर्वज्ञता
अतीन्द्रिय ज्ञान में ही सर्वज्ञता होती है
वीतराग स्वभाव
स्व और पर की यथार्थ समझ स्व मानने योग्य कौन है ?
अरहन्त की आत्मा द्वारा अपनी आत्मा को समझना
भगवान अरहन्त की आत्मा
ध्रुव स्वभाव की सिद्धि
अरहन्त के द्वारा अपने ध्रुव की पहिचान
ध्रुव की सामर्थ्य
ध्रुवभाव की श्रद्धा से लाभ कैसे ?
सर्वप्रथम करने योग्य कर्तव्य
क्या ध्रुव की श्रद्धा से पर्यायें शुद्ध ही होंगी ?
मोक्षमार्ग में कषाय की मंदता
आत्मार्थी की पात्रता
सचेतन अचेतन परिकर से परिणति समेटना द्रव्यकर्मों से परिणति समेटना
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