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जाण३१
[ ५ ] सहज तर्क पद्धति का आश्रय लिया है जिसकी सत्यता में स्वयं राम भी सन्देह न कर सके थे। भूखो भोजन खीर, विण जिम्या
छोडइ नही, इम जाणइ सही रे तरस्यो चातक नीर, सुपडित
सुभाषित रसियो किम तजइ रे दरिद्र लाधो निधान, किम छोडइ ।
जाणइ इम वलि नहिं सपजइ रे तिण तु निश्चय जाणि, भौगविनइ
___ मुकी परी सीता रावणइ रे और तब किसीके द्वारा सीता के सौन्दर्य के कारण राम द्वारा उसको रख लेने की बात कही जाती है तो दूसरा तर्क और भी प्रबल हो सम्मुख आता हैं।
'पेटइ को घालइ नही अति वाल्ही छुरी रे लो।' और सीता को वनवास दे दिया गया।
'आपदा पड्या न को. आपणो, रे लाल
कुण गिणइ सगपण घणो, रे लाल कहावत एवं मुहावरों की इस तर्क-पद्धति द्वारा कवि स्वाभाविकता का स्पष्ट स्वरूप खड़ा करने में सफल हुआ है जो इनकी शैली का सहज गुण बन गया है। .
वर्णन-वर्णनों का वाहुल्य नहीं है। जहाँ कहीं वर्णन किया है, वहां विलकुल नपे तुले शब्दों में ही.कवि एक चित्र खड़ा कर गया है। एक, दो वर्णन देखिये जो कितने स्वाभाविक बन पड़े हैं