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कसा पाहुड
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140) जो जीव बध्यमान जिस प्रकृति में संक्रमण करता है, वह नियम से बन्ध सदृश प्रकृति में हो संक्रमण करता है अथवा बन्ध की अपेक्षा हीनतर स्थितिवाली प्रकृति में संक्रमण करता है । किन्तु अधिक स्थितिवाली प्रकृति में संक्रमण नहीं होता ।
141 ) मानकषाय का वेदन करनेवाला संक्रमण प्रस्थापक क्रोध संज्वलन को वेदन नहीं करते हुए भी उसे मानकषाय में संक्रान्त करता है, शेष कषायों में यही क्रम है ।
142) संक्रमण - प्रस्थापक
अनुभाग और प्रदेश- सम्बन्धी बन्ध, उदय और संक्रमण परस्पर में क्या समान हैं, अथवा अधिक हैं अथवा हीन हैं ? इसी प्रकार प्रदेशों की अपेक्षा वे संख्यात, असंख्यात या अनन्तगुणितरूप विशेष से परस्पर होन हैं, या अधिक हैं ?
143) बन्ध से उदय अधिक होता है तथा उदय से संक्रमण अधिक होता है । इस प्रकार अनुभाग के विषय में गुणश्रेणी अनन्तगुणी जानना चाहिए ।
144) बन्ध से उदय अधिक होता है । उदय से संक्रमण अधिक होता है । इस प्रकार प्रदेश की अपेक्षा गुणश्रेणी असंख्यातगुणी जानना चाहिए ।
145) अनुभाग की अपेक्षा साम्प्रतिक-बन्ध से साम्प्रतिक उदय अनन्तगुणा है । इसके अनन्तरकालीन उदय से साम्प्रतिक बन्ध अनन्तगुणा है ।
(146) यह अनुभाग का प्रतिसमय अनन्तगुणित हीन गुणश्रेणी रूप से वेदक है । प्रदेशाग्र की अपेक्षा उसे गणनातिक्रान्त (असंख्यात गुणित) श्रेणी रूप से वेदक जानना चाहिए ।
147 ) बन्ध, संक्रम और उदय स्व स्व स्थान पर तदनन्तर तदनन्तर काल की अपेक्षा क्या अधिक हैं, हीन हैं अथवा समान हैं ?
148) अनुभाग, बन्ध और उदय को अपेक्षा तदनन्तर काल में नियम से अनन्तगुणित हीन होता है, किन्तु संक्रमण भजनीय है ।
(149) प्रदेशाग्र को अपेक्षा संक्रमण और उदय उत्तरोत्तर काल में असंख्यात गुणित रूप होते हैं, किन्तु बन्ध प्रदेशाग्र में भजनीय है ।
150) अनुभाग में गुणश्रेणी की अपेक्षा नियम से अनन्तगुणा हीन वेदन करता है । किन्तु प्रदेशाग्र में गणनातिक्रान्त गुणितरूप श्रेणी के द्वारा अधिक है ।
संकाय पत्रिका-२
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