Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 188
________________ अवि अहि अहियो अहिए अहियं अहिया आणुपुत्री आणुपुवीय अणुवी आदि आवलियं आवलिया आवलिगा आवलियाणं आवलियासु आसा आसाणे आहारयो आहो (अथवा ) [ इ ] इच्छा इत्थी इत्थी सु इत्थी वेदं इह ईहा [ उ ] उकडुदि उक्कस्सय उक्कस्सं कसा पाहुडत्तं 69, 110, 126, 196, 214 उक्कस्सो 143 224 उक्कासो 143 140 62, 74 77, 150 233 136 19, 45, 46, 54, 55 178 15, 59, 92, 159, 225 152, 231 202 195 230 89 99, 101 48 166 उक्कस्समणुक्क सं उक्कस्सा Jain Education International 89 45 51 138 198 15 158, 222 222 185 79 22 19,75 वीस उत्तम-जहणो उत्तरपदं उत्तरपदाणि उत्तर से ढी उत्तरसेढीय उदओ उदए उदण उदयं (उदकं ) उदयो उदयादि उदयादिसु उदयादिपदेसरगं उदयादी उदयादो उदिण्णं उदीरदा उदीरेदि उदीरेंतो उभे उभए उवट्ठ वक्कविही उवजुत्ता उवजुतो उवजुतेहिं उवजोगा उवजोगो उवजोगे उवजोगवग्गणाओ For Private & Personal Use Only ૬૦ 228 87 50 25 173, 178 203 177 201 144, 219 154 93, 143 71 142, 223 179 180 225 225 145 81 227 61, 62, 220 61 11 215 107 24 66 63 69 64 63 4, 46, 64, 91, 190 65 संकाय पत्रिका - २ www.jainelibrary.org

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