Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
View full book text
________________
१८४
श्रमणविद्या
133
122
सव्वोवसमेण सम्वावरणं सव्वावरणीयं सव्वावरणीयाणं सव्वावरणे सव्वकिट्टीसु सव्वत्थ सव्वणिरय सविसेसा सहस्ससो सागारो सागारे साद सादि सादिजोगो सादेण सामण्णा सारीरगं सासद सिया सुक्कलेस्से
103 सुद्धं
173, 178 79,211 सुहणाम
127 79 सुहणाममुच्चगोदं
206 सुहमम्हि
217 135 सुहमरागम्हि 193 सुहमरागो
210 68, 85, 110 सुहुमे
121 96 से
61, 125, 145 20 सेल
71 114 सेसं
209, 210 109 सेसगं
230 83, 98 सेसगा
129, 205, 212 127, 192 सेसगो
135 सेसगम्हि
229 88 सेसगे
188, 208 191 सेसग्गाणं
181 202 सेसा 20, 50, 51, 76, 171, 198 132 सेसो
173 90 सेसाभो
197, 215 112 सेसाणि 28,94, 131, 199, 204 44 सेसाणं
27, 213, 232 सेसासु
114 49, 50 सेसे
133, 141
42 95, 106
15 सोलस सोलसग
सोलसहं 58 सोलसेव 211
[ह] होदि
8, 105, 134 189 हवदि
___1,71 होइ 24, 57, 62, 74, 79, 84,95, 15
143
सुण
सेसेसु
सुण्णट्ठाणा सुण्णासुण्णे सुत्तं सुत्तगाहा सुत्तगाहाओ
2
सो सोद
सुदो
सुदं
20
27
सुददेसिदं सुदमदि-आवरणे सुद-मदिउवजोगे सुदुक्कस्सा सुदुस्सासे
127
संकाय पत्रिका-२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262