Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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तिक्काले चदुपाणा दव्यपरिवट्टरुवो
दव्वसंगह मिणं मुणिणाहा दुविहं पि मोक्खहे
दंसणणापहाणे
दंसणणाणसमग्गं
दंसणपुवं गाणं
धमाधम्मा कालो
पणतीससोलछप्पण
पट्टिदि अणुभाग
पुग्गलकम्मादीणं
पुढ विजलतेउवाऊ
बज्झदि कम्मं जेण दु
बहिरब्भंतर किरिया गणगुणठाणेहिय
मा चिट्ठह मा जंपह
मा मुज्जह मा रज्जह
मिच्छत्ताविरदिपमाद
रयणत्तयं ण वट्टइ
लोयायासपदेसे
वण्णरस पंच गंधा
वदसमिदीगुत्तीओ
ववहारा सुहदुक्खं
सद्द बंधी सुमो
समणा अमणा णेया सव्वस्स कम्मणो जो
सुहअसुहभावजुत्ता संति जदो तेणेदे
संमण गाणं
संसय विमोहविभम होंति असंखा जीवे
संकाय पत्रिका-२
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अवचूरिजुदो दव्वसंगहो
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