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32, 40
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श्रमणविद्या इणमेव-यही, यह ही
56 कम्मस्सासवणिरोहणे-कर्मास्रव के इट्ठणि?अत्थेसु-इष्ट और अनिष्ट
रोकने में अर्थों में
कम्मादपदेसाणं-कर्म और आत्मा के इव-तरह
प्रदेशों का 32 [3]
कम्मासवणं-कर्मास्रव उज्जोदादवसहिया-उद्योत और
कसायदो-कषाय से आतप सहित काओ-काय
___25, 26 उप्पादवयहि-उत्पाद और व्यय से 14 काया काय (शरीर) उवयोगमओ-उपयोगमय
2 कारणं-कारण उवओगा-उपयोग
44 कालविजुत्तं-काल को छोड़कर उवओगो - उपयोग
4 कालस्से गो-काल का एक उवझाओ-उपाध्याय
53 कालाणू-कालाणु उत्तं-कहा 23 कालो-काल
15, 20, 21 उवयारा-उपचार से 26 किचि-कुछ
156 उपसंहारप्पसप्पदो--संकोच और
किंचूणा-कुछ कम, (किंचित् ऊन) 14 विस्तार से _10 केवलं-केवल [ए]
केवलमवि-केवल भी एक्केक्का-एक-एक
22 केवलिणाहे-केवली नाथ में एक्केक्के-एक-एक पर
[ख] एग-एक
खयहेदू-क्षय का कारण एयत्तं-एकत्व
खलु-निश्चय से एयपदेसो-एक प्रदेश
26 खु-निश्चय से एवं-इस प्रकार
[ग] [ओ]
गंधा--गंध ओही-अवधि
___4 गइपरिणयाण-चलते हुए, (गति [क]
रूप परिणमित) कत्ता--कर्ता
28 गच्छंता-गतिशील, (जाते हुए) कट्टमायारं-आकार करके ____43 गमणसहयारी-चलने में सहायक कमसो-क्रम से 30 गहणं-ग्रहण
42, 43 कम्म-कर्म 29, 32 गुरूवएसेण-गुरु के उपदेश से
49 कम्मपुधभावो-कर्मों का अलग होना 37 गोदं-गोत्र कम्मणो-कर्मों का
37 [च] कम्मपुग्गलं-कर्मपुद्गल
36 च-और ____4, 5, 38, 49, 52 संकाय पत्रिका-२
37
2, 27,
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