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श्रमणविद्या
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53
55
जो-जो 21, 34, 37, 53, 54 णिच्चा-नित्य जोग्ग-योग्य
31 णिच्छयं-निश्चय जोगा-योग से
णिच्छयदो-निश्चय से [ ]
णिच्छयणयदो-निश्चय नय से 3, 9, 10
णिज्जरा-निर्जरा झाएह-ध्याओ 49, 51
36 झोणं-ध्यान
47, 55, 56
गिम्मणा-मन रहित झाणप्पसिद्धीए-ध्यान की सिद्धि
णिद्दिटुं-निर्दिष्ट किया के लिए
णियमा-नियम से झाणरहधुरंधरो-ध्यान रूपी रथ का
हिरदो-लगे रहते हैं धुरन्धर
गिरीहवित्ती- इच्छाओं से रहित झाणे- ध्यान में,
णेई-ले जाता है
17
णेओ-जानना चाहिए झेओ-ध्यान करो
15, 37
णेमिचंदमुणिणा-नेमिचन्द्र मुनि के द्वारा 58 [ण]
णेयं-जानना चाहिए ण-नहीं
25, 40, 44
णेया-जानना चाहिए 12, 36 ट्रकम्मदेहो-आठ कर्मरूपी शरीर
यो-जानो
31 को नष्ट कर दिया 51 णेव-नहीं
17, 18, 43 णट्ठचदुघाइकम्मो-चार घाति कर्मों
णो-नहीं . को नष्ट करने वाला 50 णमो-नमस्कार
53.54
त] णाणं-ज्ञान 4, 5, 6, 41, 42, 44 तं-उसको 1, 27, 41, 46,55 णाण-दसण-ज्ञान और दर्शन
6 तत्तियणिरदा-उन तीनों में लीन 57 णाणाखंधप्पदेसदो-नाना स्कन्ध
तत्तियमइओ-उन तीनों सहित 39,40 प्रदेश वाला
तत्तो- उसके बाद णाणावरणादीणं-ज्ञानावरण आदि का 31 तणुसुत्तधरेण-अल्पश्रुत के धारक णाणिस्स-ज्ञानी के
46 तदा-तब णाम-नाम
38 तदो-इसलिए णादव्वा-जानना चाहिए
तम्हा-उससे 24, 40, 47, 57 णायव्वा-जानना चाहिए
35 तल्लद्धोए-उसे पाने के लिए 57 णिओ-अपना
39 तवसुदवदवं-तप, श्रुत और व्रत वाले 57 णिक्कम्मा-कर्म रहित
तवेण-तप के द्वारा णिच्चं-नित्य
53 तस्स-उसके
53.54 55 णिच्छयदो-निश्चय से
तस्सडणं-उनका झरना णिच्चया-निश्चय से
7 तसजीवा- त्रस जीव
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संकाय पत्रिका-२
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