Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 202
________________ कसायपाहुडसुत्तं १८३ संजम संजमम्हि संजमासंजमस्स संजलण 72 संधी 71 संधीदो संपराए 145 संपहिबंधो संपहिबंधेण सांतरं सगे सणंतेसु सण्णिवादे सत्त 147 सत्तग सत्तय सत्तसु सत्तरस सत्तारस सत्तवीसा सत्तावीसा 14 समयूगा 231 34 समयूणाए 228 6, 115 समा 176 86 समाणा समाणो 78 समाणणा 16, 121, 217 समाणय 56 समाविभागे 192 145 समासेण 8 57, 60, 177 समुक्कस्सो 87 समो 142 152 सम्मत्तं 14 58 सम्मत्ते 33, 43, 82, 111, 186 4,9, 37, 138 सम्मत्तपढमलंभो 104 31, 32 सम्मत्तपढमलंभस्स 105 33,51 सम्माइट्टी 107 197 सम्मामिच्छाइट्ठी 202 27 सण्णी 85.85 30,33 सण्णीसु 82 सरिसं 221 सरिसी सरिसो 71 206 सरिसीसु 131 सरीरे 188 80 107 सव्वो सम्वे 42, 110 60 सम्वाओ 168 सव्वस्स 136 203 166, 197 सव्वेसु 193 195, 197 सव्विस्से 168 73 सम्धेहि 100, 220 29 72 सदे 67 107 सव्वं 97 सदसहस्से सदसहस्सेसु सद्दहइ सद्दहदि सभासगाहाओ समया समयो समए समये समयपबद्धा समगो 69 सव्वासु 61 संकाय पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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