Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 201
________________ १८२ श्रमणविद्या 106 42, 47 विसेसम्हि वीचारा वीचारे वीसं वीसाए वीसाय वुत्ता 41 33 25 230 25 70 वुत्तो 58 वेदंतो वेदेतो वेदकसाएसु वेदणीयं वेदणीए वेदयम्मि वेदगो वेदग-उवजोगे वेदगकालो वेदयदि वेदयदे वेदयमाणो वेदयसम्माइट्टी वेदादी 13 41 संकमण 213, 232 संकमट्टाणा संकमट्ठाणे 20, 90 संकमपडिग्गहो संकमपडिग्गह विही संकमदे संकमविही संकमणयं संकमणपट्ठवगस्य 135, 214 संकामगपट्टवगो 55 संकामगो 99, 129, 205 संकामण 135 संकामणपट्टवगो __4 संकामणमोवट्टण 141, 146 संकामयपट्ठवगस्स संकामेइ 181 संकामेदि 130, 150, 207, 212 संकामेदुक्कड्डदि ____123, 211, 231 संखेज्ज 215 संखेज्जा संखेज्जे 137 संखेज्जेहि 135 संखेज्जगुणा 91: संखेज्जदिभागो संखेज्जदिभागेण संगहणी संगहणीए 24, 34 संछुद्धा 124 संछुहतो 129 ___ संछुहइ 25, 33, 35 136, 219 संछुहदि 39, 231 संछोहणमुदएण 7 संछोहणादीसु 125 130 137 10, 18 141 233 124 23 62, 130, 207 153 171 114, 205 129 184 170 202 102 वेदे वेदो 2 सखज 181 ५ 9 वोच्छामि वोच्छिज्जदि [स] संकम संकंतं संकंतम्हि संकमो संकमे संकमाए 198 140, 214 139 137, 218 214 128 संकाय पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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