Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 199
________________ १८० भवे भवेसु भवम्मि भवसेस गाणि भवसमय से सगाणि भवसेस - समयपबद्ध से साणि भव-से सग समयपबद्ध से साणि भविया भविएसु भागो भागेण भावविधि भावे भासमाहाओ भिण्णमुहुत्तं भूदपुव्वा [म] मग्गण मग्गणोवाया मंज्झिमो मज्झिमासु मज्झिमट्ठिदी मण मणुण्ण मणुस गईए मणुस गदीए मस्से मद माणं माण माणकसाये माणकसायस्स माणद्धा संकाय पत्रिका - २ Jain Education International श्रमणविद्या 70, 91 182 198 98, 199 203 201 200 55, 88 39 219 228 127 15 88 32, 42 110 114 87 137 87 141 141 17 माणे माणो माणोवाओ मायं माया मायाए मायद्धा 40 मिच्छत्तं 48 178 172 41 58 10 210 68 मिच्छत्त मिच्छते मिच्छत्तपच्चओ मिच्छत्तवेदणीए मिच्छाइट्ठी मिस्सगे मिस्से मुच्छा मुहुत्तं मेंढ मोत्तूर्ण मोहणिज मोहणीयं मोहणीयस्स मोहे य रदि रागो रोसो [ य ] 4, 35, 40, 43, 48, 57, 58, 60, 66, 73, 78, 82, 88, 89, 212 [र] [ल ] लंभस्स लक्खणं 75, 80, 139, 174 70, 71, 87 20 For Private & Personal Use Only 139 70, 88 80, 139, 174 17 105 43, 99, 187 82, 186 101 111 108 43, 82, 182 32, 43 89 125 72 27 22 131 125, 136, 213, 233 39 132 89 86 105 165 www.jainelibrary.org

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