Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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कसायपाहुडसुत्तं
१७९
पुवम्मि
191 223
61 209
121 28, 36, 51, 163
215 175 169
178 168, 176 99, 155, 233 17, 68, 82, 172
95, 164, 174
196
দুয়া
231 बद्धाणि पुधत्तं
20 बहुगत्ते पुधत्ते
16 बहुगदरं पुन्वं
93, 221 बादररागो
1 बादररागे पुवबद्धाणं
115 बारस पुधबद्धाणि
92, 124, 182 बिदियं पुवावलिया
बिदिया पुश्वपविट्ठा
226 बिदियादो पुरिसवेदे
138 बिदियट्टिदि पुरिसेसु
45, 52 बिदियट्ठिदीए पेज्जं
1, 3, 21 बोद्धव्वं पेज्ज-दोसो
89 बोद्धव्वा पेज्ज-दोसविहत्ती
3, 13 बोद्धव्वो पोग्गल
59 [भ] [ब]
भज्जा बंधइ
85 भज्जाणि बंधगिदरासि
217 भजियव्वा बंधगे
3, 13 भजियव्वो बंधगो
84, 133, 216 भजियवाणि बंधट्ठाणेसु
भजिदव्वा बंधदि 23, 62, 117, 123, 206 भज्जो बंधसमं
158 भणिदा बंधसमगं
: 158 भणिदो बंधसरिसम्हि
. 140 भयणिज्जो बंघेण
56,93, 140, 143 भयसोगमरदि
101, 112, 142, 219 भव बंधोदएहि
148 भवक्खया बधोदयणिज्जरा
232 भवग्गहणे बज्झमाणं
81 भवणेसु बज्झमाण
204 भवंति बज्झमाणी
196 भवबद्धा बद्धं
81, 184, 230 भवा
56
183, 187, 188, 212
183 19, 97 154
98 185 153
148 72,90
73 135 132
बंधो
59
121, 122
64
96
197 194 198
64
संकाय पत्रिका-२
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