Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 189
________________ श्रमणविद्या 226 40, 163 25 57 56 199 64 5 64 166 100 10 47 १७० उवजोगवग्गणाहि उवरिल्लं उवसामगो उवसामगे उवसामगस्स उवसामणा उवसामणद्धम्मि उवसामणाए उवसंतं उवसंता उवसंते उवसंतो उवसमक्खयादो उवसंतकसाय उवसामो उवसामो उवसात उवसातय उस्सिदो ऊणवीसा ऊणवीसाए ऊणिया [ए] एइंदियं एइंदियकाएसु 103 33 18 7, 29, 31, 36, 50 45 155 38 69 एक्किस्से 79 एक्केक्कम्हि 93, 97 एक्केक्काए 34, 39, 52 एक्केक्के 91, 99, 101 एक्केकेण 14, 115, 122 एकसमयबद्धाणं 6 एक्ककसाए एक्कसायम्मि 81, 116 एक्ककालेण एक्कवीसं 20, 97, 99, 101 एक्कवीसा एकवीसाए 121 एक्कारस एक्कारसयं 96 एगं एगा एगाए एगट्ठिया एगसमयपबद्धा 35, 46 एगसमएण 29 एगादेगुत्तरियं एगाधिगाए एगत्तरमेगादि 184 एत्तो एदं 11, 48, 155 एदा 6, 8, 12, 226 एदाओ 53 एदाणि 11 एदे 37 एदेण 38 एदेसिं 64, 202 एसो 47, 66, 100, 200 एमेव 38 90 194 199 184 152 33 201 19, 34 165 183 एक्कं 3 एक्का एक्कयं एक्काय एक्कग एक्कगे एक्कम्मि एक्कम्हि ___10 193 27, 49, 50, 53, 197 203 74, 81 80, 174 123 संकाय पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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