Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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१७२.
श्रमणविद्या
65, 194
166 62, 67,74, 186
63
91 41, 57, 63, 118
65
125 142
229
कालो
59, 176 केत्तिया कालं
151 केत्तियासु कालेण
169 केण काले
58, 61, 145, 212 केणहियो काहि
69 केरिसो 94, 124
केवचिरं किंचूणियं
केवडिया किंवा
केवदिया किच्चा
93 केवल दंसण-णाणे किट्टि
177, 229 को किट्टि
कोचं किट्टी
10 कोधस्स किट्टीए 7, 162, 174, 196, 220
कोधे किट्टीओ
कोध-पच्छिमपदादो कोधादिवग्गणादो
कोवं किट्टीकय
9 किट्टीकरणं किट्टीकदम्मि
कोहो किट्टीकरणम्हि
161 कोहम्मि किट्टीखवणाए
233 कोहेयट्टिया किट्टीदो
229 कोहादी किट्टीय
181, 229 कोहकम्म किट्टीवज्जेसु
161 कोहद्धा किण्हलेस्साए
44 [ख] किण्णु
68, 221 ___ खयो किमिरायरत्तसमगो
खयेण
162
16 60, 61, 63, 91
137 173 174 165 173
86 139 70,86
138
162
किट्टीसु
182
कोहं
204
ॐ
कुहक
खलु
के
केसु केसुदीरेदि केसि केच्चिरं केत्तिगा
60, 67, 92, 93 40,94, 124, 157, 204
218 120 151 194
खवगा खवगे खवगो खवणा खवणाए खवेदि
122, 123, 229
85 233 34, 39
112 14, 232 5, 8, 10, 111
214
संकाय पत्रिका-२
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