Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 183
________________ श्रमणाविद्या .. 147 223 219 148 189 185 104 135 132 194 203 199 40 172 पुण्णा जं वेदयदे पुत्व पविट्ठा णियमा पुष्वम्मि पंचमम्मि दु पुवावलिया णियमा पेज्ज-दोसविहत्ती पेज्ज-दोसविहत्ती पेज्ज वा दोसो वा पेज्जं ति पाहुडम्मि दु पंच चउक्के बारस पंच य तिणि य दो पंचिदिय सणणी पुण पंचसु च ऊणवीसा पंचेव सुत्तगाहा पुंवेदं च खवेदि [व] बहुगत्ते थोवत्ते बहुगदरं बहुगदरं बादररागे णियमा बद्धं च बज्झमाणं बारस गव छ तिण्णि य बिदियट्ठिदि आदिपदा बिदियादो पुण तदिया बिदियादो पुण तदिया बिदियादो पुण पढमा बिदियादो पुण पढमा बंधदि च सदसहस्से बंधेण हीणदरगे बंधेण हीणदरगे बंधेण होइ उदओ बंधेण होड उदओ बंधेण होइ उदओ बंधेण होई उदयो बंधो व संकमो वा 231 बंधी व संकमो वा 226 बंधी व संकमो वा 1 बंधो व संकमो वा 196 बंधोदएहिं णियमा 3 [भ] 13 भज्जाणि च पच्चक्खेसु 21 भजियग्वाणि अभज्जाणि 1 भजियम्वो य अभिवखं 36 भयणिज्जो वेदंतो भयसोगमरदिरदिगं 95 भवबद्धा अच्छुत्ता 65 भवसमयसेसगाणि 5 भवसेसगाणि कदिसु 234 भविया वाभविया वा भागेणाणंतिमेण दु 223 [म] 61 मग्गणगवेसणाए 122 मण-वयण-काय-पासे 81 माया य सादिजोगो 163 माया चउन्विहा वुत्ता 178 मायं च छुहइ लोहे 170 मायं च छुहर लोहे 171 माणद्धा कोहद्धा 171 माणमददप्पथंमो 170 माणे लदासमाणे 206 मिच्छत्तवेदणीयं 140 मिच्छत्तपच्चओ खलु 239 मिछत्तवेदणीए 144 मिच्छाइट्टी णियमा [ल] 241 लद्धी य संजमासंजमस्स 143 लद्धी य संजमासंजमस्स 142 लद्धी यं वेदयते 55 15 88 70 139 238 17 75 99 101 111 108 240 6 115 211 संकाय पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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