Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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कसायपाहुडसुत्तं 192 सत्तदा गाहाओ 236 सत्तेव णोकसाए 136 सत्तेव णोकसाए 174 सद्दहदि असम्भावं 90 सद्दहदि असम्भावं
समयूणा च पविट्ठा
सम्मत्तदेसविरयी 115 सम्मत्तपढमलंभो 154
सम्मत्तपढमलंभ160
सम्मत्ते मिच्छत्ते 164
सम्माइट्ठी जीवो 156
सम्मामिच्छाइट्ठी 209
सम्मामिच्छाइट्ठी 243
सम्मत्ते मिच्छत्ते 205
सव्वणिरय भवणेसु 129
सव्वं च कोहकम्म 131
सव्वस्स मोहणीयस्स 29
सव्वस्स मोहणीयस्स सव्वाओ किट्टीओ सव्वावरणीयं पुण सव्वावरणीयाणं सब्वासु वा ट्ठिदीसु च सव्वे मणुसगईए
सव्वे वि य अणुभागे 102
सम्वेहि द्विदिविसेसेहि 135
सव्वेसु चाणुभागेसु
सम्वेसु चाणुभागेसु 72 सव्वेसु टिदिविसेसा
सव्वं जहाणुपुन्वी 85 सागारे जोगम्हि 82 सागारे पट्टवगो 54 सादसुहणामगोदा 30 सादि य जहण्णसंकम
लेस्सा साद असादे लोभकसाए णियमा लोभकसाये णियमा लोभम्हि च किट्टीए लोभस्स य णामधेज्जा लंभस्स अपढमस्स
[व] वड्ढावड्ढो उवसामणा वड्ढीए अवट्ठाणे वड्ढ'दु होइ हाणी वड्ढेतो किट्टीए वड्ढेदि हरस्से दि च वसस्स्संतो बंधदि वस्सस्संतो बंधदि वस्सेसु असंखेज्जेसु वस्सेसु असंखेज्जेसु वस्ससदसहस्साई वावीस पण्णरसगे वावीस पण्णरसगे वावीस पणय छक्कं विरदीए अविरदीए वीसा य संकमदुगे वेदग उवजोगे वि य वेदगकालो किट्टीय वेदयसम्माइट्ठी वेदे च वेदणीए वोच्छामि सुत्तगाहा वंसीजण्हुगसरिसी
[स] सण्णी चदुसु विभज्जो सण्णोसु असण्णीसु सत्त य छक्कं पणगं सत्तारसेगवीसासु
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136 336 168
79 133 166
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संकाय पत्रिका-२
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