Book Title: Shramanvidya Part 2
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 180
________________ कसायपाहुडसुत्तं १६१ 162 67 67 16 120 157 124 60 173 63 40 70 86 139 162 कदि पयडोयो बंधदि कदि भागुवसाभिज्जदि कदि भागं वा बंधदि कदिसु गदीसु भवेसु कदिसु च अणुभागेसु कम्मस्स य अणुभागे कम्मंसियट्ठाणेसु कम्माणि अभज्जाणि कम्माणि अभज्जाणि कम्माणि जस्स तिणि दु कम्माणि पुव्वद्धाणि कम्माणि पुन्वबद्धाणि काणि वा पुधबद्धाणि कामो रागणिदाणो किट्टीए अणुभागे किट्टीए कं करणं किट्टीए सेसगं पुण किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकयवीचारे किट्टी च ट्ठिदीविसेसेसु किट्टी च पदेसग्गे किट्टीदो किट्टि पुण किट्टीदो किट्टि पुण किट्टी करेदि णियमा किमिरायरत्तसमगो के अंसे झोयदे पुन्वं केवचिरं उवजोगो केवचिरं उवसंतं केवचिरमुवसामिज्जदि 23 केवदिया किट्टीओ 117 केवडिया उवजुत्ता 117 केवडिया च कसाए 182 केवलदसणणाणे 166 वेसि कम्मसाण 165 केसु अवठ्ठाणं वा 56 केसु व अणुभागेसु य 187 को कदमाए ट्ठिदीए 190 कोधादिवगणादो 106 को वा कम्मि कसाए 182 कोहादी उवजोगे 204 कोहो चउम्विहो वुत्तो .92 कोहो य कोवरोसो 9 __कोहं च छुहइ माणे 220 कोहं च छुहा माणे के कम्मं उवसंतं 230 कं करणं वोच्छिज्जदि 204 कं करणं उवसंतं 205 कं केण होइ अहियं 206 के ठाणमवेदंतो 207 के ठाणं वेदंतो 213 कि अंतरं करेंतो 9 किंचूणियं मुहुतं 167 किं टिठदियाणि कम्माणि 169 कि लेस्साए बद्धाणि 230 कि वेदेतो किट्टि 229 कि सेसगम्हि किट्टीय 164 [ख] 73 खवगा य आणुपुटवी 93 खवणा व अखवणा वा 63 खवणाए पट्ठवगो 118 खीणेसु कसाएसु 118 खीणो देवमणुस्से 238 116 119 119 74 84 84 151 125 94 191 214. 229 233 232 113 232 112 संकाय पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262