Book Title: Shraman Pratikraman
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 14
________________ श्रमण प्रतिक्रमण वन्दे सम्भवं वंदन करता हूं संभव अभिनन्दन सुमति अभिनंदनं च सुमति च पद्मप्रभं सुपाव जिनं च चंद्रप्रभं वन्दे सुविधि च पुष्पदन्तं शीतलं श्रेयांसं वासुपूज्यं च विमलं अनन्तं च जिनं धर्म शान्ति च वन्दे पद्मप्रभ सुपाव जिन और चंद्रप्रभ को वन्दन करता हूं। सुविधि पुष्पदन्त शीतल श्रेयांस वासुपूज्य विमल कुन्थु अरं च मल्लि वन्दे मुनिसुव्रतं नमिजिनं च अनन्त तथा जिनेश्वर धर्म और शान्ति को वंदन करता हूं। · कुन्थु अर और मल्लि को वन्दन करता हूं मुनिसुव्रत और नमिजिन को वन्दन करता हूं अरिष्टनेमि पाव तथा वर्द्धमान को। इस प्रकार मेरे द्वारा स्तुति किए हुए वन्दे अरिष्टनेमि पावं तथा वर्द्धमानं मया अभिष्टुताः १. २. नौवें तीर्थंकर के दो नाम हैं-सुविधि और पुष्पदन्त । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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