Book Title: Shraman Pratikraman
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 28
________________ श्रमण प्रतिक्रमण बीजक्रमणे बीजों को लांघते समय हरितक्रमणे हरियाली को लांघते समय अवश्याय ओस ... उत्तिग कीटिकानगर पनक फफूदी दगमृत्तिका कीचड़ (और) मर्कटकसन्तानक मकड़ी के जाले का संक्रमणे संक्रमण करते समय ये इमे जो इन जीवा विराधिताः जीवों की विराधना की हो एकेन्द्रियाः एक इन्द्रिय वाले द्वीन्द्रियाः दो इन्द्रिय वाले त्रीन्द्रियाः तीन इन्द्रिय वाले चतुरिन्द्रियाः चार इन्द्रिय वाले पंचेन्द्रियाः पांच इन्द्रिय वाले जीव अभिहताः सामने आ रहे हों, उन्हें हत-प्रहत किया हो वर्तिताः उनकी दिशा बदली हो लेशिताः उन्हें चोट पहुंचाई हो संघातिताः उन्हें इकट्ठा किया हो संघट्टिताः उन्हें हिलाया-डुलाया हो परितापिताः उन्हें परितप्त किया हो, सताया हो क्लामिताः उन्हें क्लान्त किया हो, कष्ट दिया हो उद्घोताः उन्हें उत्पीडित किया हो स्थानात स्थानं संक्रामिताः उनका स्थानान्तरण किया हो जीवताद् व्यपरोपिताः उनको मार डाला हो तस्य उससे संबंधित मिथ्या निष्फल हो मेरा दुष्कृतम् । दुष्कृत। भावार्थ मैं चलते फिरते समय होने वाले अतिचारों के लिए प्रतिक्रमण करना १. लिश्–To hurt (Apte's Sanskrit English Dictionary) २. संघातिता-अन्योऽन्यं गात्ररेकत्र लगिताः । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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