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श्रमण प्रतिक्रमण
आमर्शे सरजस्कामर्शे
आकुलाकुलाय स्वप्नप्रात्यक्यिां
स्त्री पर्यासिक्यां
दृष्टिर्व पर्यायां मनोपर्यासिक्यां
पान - भोजन - वै पर्यासिक्यां
तस्य
मिथ्या
मे
दुष्कृतम् ।
भावार्थ
किसी का स्पर्श करने (तथा)
सचित्त रजयुक्त वस्तु का स्पर्श करने में अतिक्रमण किया हो ।
अत्यन्त आकुलता स्वप्न हेतुक
स्त्री के प्रति कामराग
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दृष्टिराग
मनोराग (तथा)
पान - भोजन विषयक अन्यथा भाव (किया हो)
(तो) उससे सम्बन्धित
निष्फल हो
मेरा
दुष्कृत ।
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मैं प्रतिक्रमण करना चाहता हूं-अतिमात्र नींद लेने में, जब इच्छा हुई तब नींद लेने में या बार-बार नींद लेने में, उठने-बैठने में, करवट लेने में, शरीर को सिकोड़ने फैलाने में, जूं को इधर-उधर करने में, नींद में बोलने और दांत पीसने में, छींक और जम्हाई लेने में, किसी का स्पर्श करने में तथा सचित्त रजयुक्त वस्तु का स्पर्श करने में अतिचार किया हो, स्वप्न हेतुक आकुल-व्याकुलता, स्त्री-विषयक कामराग, दृष्टि राग, मनोराग और खाने-पीने के विषय में अन्यथा भाव किया हो तो उससे सम्बन्धित मेरा दुष्कृत निष्फल हो ।
१०. गोयर - अइयार - पडिक्कमण-सुत्तं
पक्किमामि गोयरचरिआए भिक्खायरिआए उग्घाड-कवाडउग्घाडणाए साणा वच्छा - दारा - संघट्टणाए मंडी - पाहुडियाए बलिपाहुडियाए ठवणां पाहुडियाए संकिए सहसागारे अणेसणाए पाणभोणा बभोणा हरियभोयणाए पच्छाकम्मियाए पुरेकम्मियाए अहिडाए दग संसदूहडाए रय-संसद् हडाए परिसाडणियाए पारिट्ठावणियाए ओहासणभिक्खाए जं उग्गमेणं उप्पायनेसणाए अपरिसुद्धं पडिग्गहियं परिभुत्तं वा जं न परिद्ववियं तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
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