Book Title: Shraman Pratikraman
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 68
________________ श्रमण प्रतिक्रमण मुक्तेभ्यः मोचकेभ्यः सर्वज्ञेभ्यः सर्वदशभ्यः शिवम् अचलम् अरुजम् अनन्तम् अक्षयम् अव्याबाधम् अपुनरावृत्तकं सिद्धिगति-नामधेयं स्थानं संप्राप्त तेभ्यः नमो जिनेभ्यः जित भयेभ्यः । मुक्त मुक्तिदाता सर्वज्ञ सर्वदर्शी कल्याणकारी Jain Educationa International अचल अरुज अनन्त अक्षय अव्याबाध पुनरावृत्ति से रहित सिद्धि गति नामक स्थान को प्राप्त नमस्कार हो जिनेश्वर भय - विजेता को । १. दूसरे नमोत्थुणं में इसके स्थान पर 'संपाविउकामा ' पाठ है । इसकी संस्कृत छाया है - 'संप्राप्तुकामेभ्यः' और अर्थ है - संप्राप्त करने वाले ५९ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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