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श्रमण प्रतिक्रमण
क्षमणीयो
क्षमा करें भवतां
आपको क्लमः
खिन्नता हुई हो अल्पकलान्तानां
आप कष्टानुभूति से रहित हैं बहुशुभेन
बहुत शुभ प्रवृत्ति से भवतां
आपका दिवसो
दिन व्यतिक्रांतः ?
बीता ? यात्रा भवताम् ?
यात्रा आपकी ? यमनीयं च भवताम् ?
संयम आपका ? क्षमयामि
क्षमा चाहता हूं क्षमाश्रमण !
हे क्षमाश्रमण ! देवसिकं
दिवस सम्बन्धी व्यतिक्रमम् ।
व्यतिक्रम के लिए। आवश्यिक्यां
अवश्य करणीय समाचारी के विषय में प्रतिकामामि
प्रतिक्रमण करता हूंक्षमाश्रमणानां
आपकी-पूज्यवर की देवसिक्यां
दिवस-सम्बन्धी आशातनायां
आशातना त्रयस्त्रिशदन्यतरायां
तेतीस में से किसी एक यत् किञ्चिन् मिथ्यायां
जिस किसी मिथ्या व्यवहार मनोदुष्कृतायां
दुष्कृत मन वाग्दुष्कृतायां
दुष्कृत वचन कायदुष्कृतायां
दुष्कृत काया क्रोधे
क्रोध
मान मायायां
माया लोभे
लोभ सर्वकालिक्यां
सार्वकालिक सर्व मिथ्योपचारायां
सर्व मिथ्या उपचार वाली सर्वधर्मातिक्रमणायां
सभी धर्मों का अतिक्रमण करने
वाली १. आचार्य हरिभद्र सूरि ने क्रोधया, मानया, मायया, लोभया—ऐसे
संस्कृत रूप दिए हैं । क्रोधया-क्रोधानुगतया आशातनया (आवश्यकवृत्ति, भाग २, पृ० ३०)
माने
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