Book Title: Satyartha Chandrodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Lalameharchandra Lakshmandas Shravak

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Page 12
________________ ( ८ ) अन्वित नाम युक्त सत्यार्थ चंद्रोदय को पढ़कर स्वजन्म सफल करें और प्रकाशक (मुद्रापक) के उत्साह को बढाए । पार्बती रचितो ग्रन्थो जैन मत प्रदर्शकः । प्रीतयेस्तु सतां नित्यं सत्यार्थ चन्द्र सूचकः ॥ १४।५।१८०५ गोस्वामि रामरंग शास्त्री मुख्य संस्कृता ध्यापक राजकीय पाठशाला लाहौर । सत्यार्थ चन्द्रोदयजैन । इस पुस्तक में यह दिखलाया है कि मूर्तिपूजा जैन सिद्धान्त के विरुद्ध है । युक्तियें सब की समझ में आने वाली हैं और उत्तम हैं दृष्टान्तों से जगह २ समझाया गया है । और फिर जैनधर्म के सूत्रों से भी इस सिद्धान्त को

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