Book Title: Sarvodayi Jain Tantra
Author(s): Nandlal Jain
Publisher: Potdar Dharmik evam Parmarthik Nyas

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Page 6
________________ सर्वोदयी जैन तंत्र (अंग्रेजी संस्करण) पर कुछ सम्मतियां इस सारगर्भित पुस्तिका मे जैन धर्म से सबधित प्राय. सभी आवश्यक "विषयो का सरल भाषा मे प्रभावी ढंग से वर्णन किया गया है। लेखक ने इसमे जैन तत्र को एकीकृत रूप में प्रस्तुत कर उसे व्यापक परिप्रेक्ष्य दिया है। यह पुस्तिका सक्षिप्त है, पर जैन विद्याओ के प्राथमिक अध्येता के लिये, जो उसे जानना चाहिये, उसके लिये अद्वितीय है। यह विदेशी पाठको के लिये उत्तम है। दशरथ जैन, छतरपुर मै आशा करता है कि जैन इतिहास, सिद्धात और आचार से सबधित यह सारगर्भित पुस्तिका नई पीढी का ध्यान आकर्षित करेगी। जैन तंत्र के परपरागत सिद्धातो को सामयिक भाषा मे प्रस्तुत कर आपने एक बड़ी चुनौती का सामना किया है। मै प्रत्येक बुद्धजीवी को इसे पढने की तीव्र अनुशंसा करता हूं। प्रो0 डेविड एम0 बुकमैन, हॉटन (मिशिगन), अमेरिका आपकी पुस्तक बहुत अच्छी है और यह मेरे छात्रो के लिये अत्यत उपयोगी सिद्ध हो रही है। प्रो0 नोएल एच. किंग, लास एंजिलस, अमेरिका "जैन तत्र . सक्षेप में," में प्रस्तुत सामग्री मुझे जैन धर्म को समझने मे बडी सहायक हुई है। प्रो0 काम्वैल क्राफोर्ड, हवाई वि0वि0, अमेरिका आपकी पुस्तक अनमोल है। आपने मेरी पुस्तक का विवरण देकर इसके विवरण को और भी अधिक वैज्ञानिकता दी है। इसका सर्वत्र प्रचार

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