Book Title: Sartham Bhavvairagya Shatakam
Author(s): A M and Company
Publisher: A M and Company

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कारण के रोग जरा अने मृत्यु एत्रण चोरो तमारी पछवाडे पज्या छे. माटे धर्मकृत्यमां जरा पण प्रमाद न करो, अने संसारमाथी जल्दी पलायन करी जाओ के जेथी जन्म जरा मृत्यु रोग अने शोकादिनो भय सदाने माटे विनाश पामे ॥५॥ दिवस-निसाघडिमालं, आउसलिलं जिआण घेत्तूणं । चंदाइचबइल्ला, कालमरहट्टं भमाडन्ति ॥ ६॥ __ आ संसार रूपी कूवो छे, सूर्य अने चन्द्र रूपी रातो अने धोळो एवा बे बळवान् बळद छे. ते सूर्य अने चन्द्र रूपी बळदो, दिवस अने रात्रि रूपी घडाओनी पंक्ति वडे जीवोना आयुष्यरूपी पाणीने ग्रहण करी काळरूपी रेटेंने फरवेछे-आयुष्यरूपी पाणी रात्रि दिवस खूटे छे, तेम नजरे जोवा छतां हे भव्य प्राणीओ! तमने संसारथी उदासभाव केम थतो नथी? ॥ ६॥ सा नस्थि कला तं नत्थि,ओसहं तं नत्थि किंपि विन्नाणं। जेण धरिजइ काया, खजन्ती कालसप्पेण ॥७॥ ___* दिवस-निशाघटीमालया आयुःसलिलं जीवानां गृहीखा । चन्द्राऽऽ. दित्यबलीवौ कालाऽरह भ्रमयतः ॥ ६॥ + सा नास्ति कला तन्नास्त्यौषधं तन्नास्ति किमपि विज्ञानम् । येन धार्यते कायः खाद्यमानः कालसर्पण ॥ ७ For Private And Personal Use Only

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