Book Title: Sartham Bhavvairagya Shatakam
Author(s): A M and Company
Publisher: A M and Company
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२८) इच्छा राखे के-आजे नहीं तो काले धर्मसाधन करीश, तो ते युक्त छे. परन्तु तारे अवश्य मरवानुं तो छ ज, तो पछी आगामी काल उपर शा माटे भरोसो राखे छे ?.। __ कोइनी मृत्यु साथे मित्रता नथी, कोइ मृत्युना सपाटामांथी न्हासी शके तेम नथी, तेम दरेकने मरवानुं अवश्य छे तो पछी हे आत्मा! तुं भविष्य उपर भरोसो राख नहीं, जे धर्मकरणी करवानी होय ते प्रमाद त्यागी आजे ज करी ले. ॥४१॥ दंडैकलिअं करित्ता, वच्चन्ति हु राइओ यदिवसा य । आउं संविल्लन्ता, गया वि न पुणो नियत्तन्ति ॥४२॥
जेम लोको फाळका रूपे रहेला सुतरने दंड उपर चडावी उकेले छे, तेम रात्रि-दिवस आयुष्य रूपी सुतरने मनुष्यभवादिरूप दंड उपर चडावी उकेली रह्या छप्रति दिवस आयुष्य ओछु थतुं जाय छे, अने गयेला रात्रि-दिवस पाछा आववाना नथी, ॥ ४२ ॥
* दण्डकलितं कृखा, व्रजन्ति खलु रात्रयश्च दिवसाश्च ।
आयुः संविलयन्तो, गता अपि न पुनर्निवर्तन्ते ॥ ४२ ॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75