Book Title: Sartham Bhavvairagya Shatakam
Author(s): A M and Company
Publisher: A M and Company

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छायामिसेण कालो, सयलजिआणं छलं गवसंतो। पासं कह वि न मुंचइ, ता धम्मे उजमं कुणह ॥९॥ जे शरीरनी छाया देखाय छे, अने निरन्तर शरीरनी साथे ज फरे छे, ते छाया नथी पण ए तो छायाने बहाने काळ फरे छे. शत्रु जेम निरन्तर छळ-भेदने ताकतो फरे छे, अने झपाटामां आवतां पोतानुं कुकृत्य पूरू करे छे, तेम छायाने बहाने रात्रि-दिवस छळभेदने ताकतो क्रूर काळ प्राणीनी क्यारेय पण केड मूकतो नथी. 'प्राणी क्यारे स्खलना पामे के एने हुं पकडी लउं' आवी दुष्ट वांछाये ते रात्रि-दिवस छायाने बहाने पाछळ पडेलो छे, ते ओचिंतो जरूर पकडी लेशे. अने ते वखते तमने पश्चात्ताप थशे के-'अरेरे! आपणे काइ धर्मसाधन करी शक्या नहीं ! माटे काळना सपाटामां आव्या नथी त्यां सुधीमां जिनप्ररूपित धर्मने विषे प्रयत्न करी ल्यो ॥९॥ * छायामिषेण कालः सकलजीवानां छलं गवेषयन् । पार्श्व कथमपि न मुञ्चति तस्माद् धर्मे उद्यमं कुरुध्वम् ॥ ९॥ For Private And Personal Use Only

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