Book Title: Saraswati 1935 07
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 13
________________ सरस्वती जुलाई १९३५ । श्रापाट १६६२ भाग ३६ खंड २ | संख्या १ पूर्ण संख्या ४२७ मम्पादक देवीदत्त शुक, श्रीनामद योरप-जैसा कि मैंने उसे देखा १-जहाज़ पर गताङ्क में पाठकों ने पढ़ा होगा कि हमारे प्रेस के का जेनरल मैनेजर श्रीयुत हरिकेशव घोष योरफ गये है। इनकी इस यात्रा का एक उद्देश सरस्वती को हिन्दी की की प्रतिनिधि और सुव्यवस्थित पत्रिका बनाना भी जैसा कि इस लेख से विदित होगा। इस यात्रा सम्बन्ध में आप 'सरस्वती' के लिए एक लेख माला लिख रहे हैं। उसका यह पहला लेख लेखक श्रीयुत हरिकेशव घोष ह पहला ले गोरख की यह मरी पहली दिन लोकप्रिय होती जा रही थी पायात्रा है। गत पन्द्रह वर्षा और मैं मित्रों और पाठकों का में मुझं छुट्टी मनाने का अवसर कनज्ञ हूँ कि हमें अब इसे बहुत बड़े बिलकुल नहीं मिला। पिछले वर्ष पैमाने में छापने की आवश्यकता म में छुट्टी का अानन्द लेने एवं प्रतीत हुई है। यह स्पष्ट था कि व्यवसाय गोर यानन्द का एक यदि हम अपने पाठकों को अधिक म मित्तानबीयान सोच रहा था। पाय-सामग्री. अधिक चित्र दे गत नवम्बर मास में यह अवसर मक और बापिक मूल्य में कुछ आया जः कि एक प्रमुग्य जमन की कर दें तो इस पत्रिका को निर्माता ने मुझे एक 'गंटरी प्रिंटिंग इंग्लंड या योरप की सुव्यवस्थित मशीन' देने को कहा। मुझं एक पत्रिकाओं के समकक्ष ला सकग। विशेष प्रकार की मशीन मँगानी थी ताकि वहत दु:ग्य की बात है कि यद्यपि भारतवर्ष की बड़े पैमाने पर पुस्तकं विशेषकर मासिक पत्रिकायें सम्पृण जन-संख्या का दो-तिहाई भाग हिन्दी-भाषी , छापने में विधा हो। हमारी सरस्वती दिन प्रति- है, तथापि अभी तक ऐसी कोई पत्रिका नहीं है Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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