Book Title: Sanatan Jain Dharm
Author(s): Champat Rai Jain
Publisher: Champat Rai Jain

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ सतर शुद्ध अशुद्ध शब्दों ব্রিল মা है और घायुम वायु कम पन इन उस जाजेन जो जैन होते हैं, होते हैं। होते हैं रहते हैं साया अपने दूर नहीं दूर ही नहीं दृश्य दिखलाती दृश्य भी दिखलाती प्रारधोका प्रारराधों की उमफी उम्मको प्रमाणिक प्रमाणित तुलना (Gifto) (Gifts ) ( boulble ) ( double ) जाघात्मा जीयान्मा जोकि गोंकि वगैरह

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 102