Book Title: Sanatan Jain Dharm Author(s): Champat Rai Jain Publisher: Champat Rai Jain View full book textPage 7
________________ (२) सतर प्राणों अशुद्ध मिला मिलता নী ईश्वर भाजन भोजन असम्भव सम्भव मायात आयत प्रणों की लहर की उस लहर को के वर्णन है. वर्णन कोनों धर्मकी हिन्दू धर्मकी कलि कील दर्शायेंगे। दर्शायेंगे अमरको अमरके कि अप्रबल प्रयल समय समयवाली उनकी अतिरिक्त, अतिरिक्त कुछ वर्णन न करेंगे, वर्णन करेंगे कूत्रों उनको 41 १५...Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 102