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(६०), आइ वनी है ॥ एतेपरी जो कोऊ कहे कि मैं निवाऊं मारूं, इत्यादि अनेक विकलप बात घनी है ॥ सोतो अहंबुद्धिसों विकल भयो तिहुं काल, डाले निज आतम शकति तिन्ह हनी है ॥ १६ ॥ उत्तम मध्यम अधम अधमाधम इन जीवके स्वभाव कहे है। ..
॥सवैया ३१ सा. उत्तम पुरुषकी दशा ज्यौं किसमिस द्राख, वाहिर अभीतर विरागी मृदु अंग है ॥ मध्यम पुरुष नालियर कीसी भांति लिये, वाहिज कठिण हिए कोमल तरंग है । अधम पुरुष वदरी फल समान नाके, बाहिरसों दीखे नरमाई दिल संग है ॥ अधमसो अधम पुरुप पूंगी फल सम, अंतरंग बाहिर कठोर सरवंग है ॥ १७॥
॥ उत्तम मनुष्यका स्वभाव कहे है ॥ सवैया ३१ सा. . । कीचसों कनक जाके नीचसों नरेश पद, मीचसी मित्ताइ गुरुवाई जाके गारसी ॥ जहरसी जोग जाति कहरसी करामती, हहरसी हंसे पुदगल छवि छारसी ॥ जालसों जग विलास भालसों भुवन वास, कालसों कुटुंब काज लोक लाज लारसी ॥ सीठसों सुजस जाने वीठसों वखत माने, ऐसी जाकी रीति ताहि बंदत बनारसी ॥ १८ ॥ .
___ मध्यम मनुष्यका स्वभाव कहे है॥ सवैया ३१ सा.....
जैसे कोऊ सुभट स्वभाव ठग मूरखाई, चेरा भयो ठगनके घेरामें रहत । है ।। ठगोरि उतर गई तबै ताहि शुधि भई, पो परवस . नाना संकट सहत है ॥ तैसेहि अनादिको मिथ्याति जीव जगतमें, डोले आठो नाम, विसराम न गहत है ॥ ज्ञानकला भासी तब अंतर उदासी भयों, पै उदय व्याधिसों समाधि न लत है१९ ॥