Book Title: Sagardatt and Lalitang Rasaka
Author(s): Shantisuri , Ishwarsuri, Shilchandrasuri, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 33
________________ [20] जेह जेह कढे जिमिज्जइ, द्रव्य-नउ रेसु तेह स्यउ न खमिज्जइ जे हुइ बाणु तेहू राखइ पडतउ काणु ॥१२१ जे जीव-हइ वाल्हउ थाइ, ते ईमई किम लंखाइ काउं मर्मु, मागे धर्मु ।।१२२ सीख आली, आप चाली सूर्य ऊग्यउ, सायरु जाग्यउ ॥१२३ हउं मोकलावेसु, कहिसु कुलदेवति-नउ आदेसु कहुं ते वात, सांभलि रात ॥१२४ गाहां जं सरवरस्स तीरे, मुणिणो दाणेण अज्जियं सुकयं । तिह तिय भायं दिज्जइ, लिज्जउ मण-वंछिया लच्छी ॥१२५ घात तीणि वयणिहि, तीणि वयणिहिं, कुविउ मणि साहू । सालय -पइ इम भणइ, अरिरि अम्ह जइ धम्मु वंछउ । ता अम्हि घरि चल्लिवउं, एह दव्वु तुम्ह गहि अच्छउ ।। धम्म--पसाइ धणु घणउ, जगि अप्पहणक होइ । धम्मवडइ दीधा तणउ, पाडु न खमइ कोइ ॥१२६ तवइ गयणिहि, तवइ गयणिहि, केमु आइच्चु, उज्जासु चाउ-दिसिहि, झरइ अमिउ कहि केम ससिहरु । मज्जाइय पालइ जलहि, केम धारि वरिसइ सु-जलहरु ॥ अज्जु धम्मु वेचउ किमइ, लच्छी- लोभु करे । महि-मंडलु भारी भणी, ता किम सेसु धरेइ ॥१२७ कुंडलिया। चल्लिउ सायरु सत्थवइ, चित्ति धरी संतोसु धुते धम्मु जु मसियउं(?), दहइ सुदुस्सहु रोसु ।। सोसु उपज्जइ अंगिहि अगरु जिम नहु मुइ वासु नीवठिउ (?) रंगिहि । सायरु संबल-हीणु जाइ जिम तिम पहु ठिल्लिय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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