Book Title: Sagardatt and Lalitang Rasaka
Author(s): Shantisuri , Ishwarsuri, Shilchandrasuri, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 54
________________ ईसरसूरि-कृत ललितांग-चरित्र अपर-नाम यसक-चूडामणि प्रथम अधिकार (१-xx) गाथा "विमल-कर-कमले"परिमल-गिलंत-रोलंब-मंगलारावं । अयिय-कमंडलु- पाणिं, पणमामि सरस्वइं देवि (१) पढमं पढम-जिणिदं, पढम-निवं पढम-धम्म-धुर-धरणे । वसहं वसह-जिणेसं, नमामि सुर-नमिय-पय-देसं ॥१ सिरि-आससेण-नरवर-विसाल-कुल-[कमल]- भमर-भोगिदो । भोगिंद-सहिय-पासो, दिसउ सिरिं तुम्ह पहु-पासो ॥२ सिरि-सालिसूरि-पाया, निच्चं मे होज्ज गुरुअ-सुपसाया । अन्नाण-तम-तमो-भर-हरणेऽरुण-सारहि-व्व समा ॥३ सालंकार-समत्थं, सच्छंदं सरस-सुगुण-संजुत्तं । ललिअंगकुमर-चरियं ललणा-ललियं व निसुणेह ॥४ दढ-दुग्ग-मूल-कोसीस-पत्त-नर-रयण-भमर-पक्खिलियं । रेहइ कय-सिरि-वासं सिरिवासं नयर-तामरसं ॥५ दूहउ तिणि पुरि पुर-जण--रंजवण, राणी-कमला-कंत । नरवाहण-निव नय-निउण, अहिणव-कमला-कंत ॥६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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