Book Title: Sagardatt and Lalitang Rasaka
Author(s): Shantisuri , Ishwarsuri, Shilchandrasuri, H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 62
________________ [49] कप्पतरु जमलि हुई जग मज्झिहि हुअउ सु केम करीर, ललियंग- कुमर वर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ॥७४ चिंतामणि पत्थर किम तुल्लइ कह, किम हंसकाय भम भुल्लइ, सायर होइ केम छिल्लर छलि, रंक सु केम तुलइ भूवइ बलि ॥७५ छंद भूवई बल तुलइ केम बल रंकह पंक हुइ किम वारि, सहसकर-करि किम उप्पम दिज्जइ भद्दव निसि अंधारि, गद्दह किम नाग म्ममा कम ऊवट कायर किम नरवीर, ललियंग-कुमरधर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ॥७६ ससहर-कार किम घम्मह उप्पम, अमियकुंड किम हाला-सम जिणवर-जाख बिहु बहुअंतर, पित्तल हेम जेम घण अंतर ॥७७ अंतर घण सुयण अनइ दुजण-जण अंतर सरसव मेर, अंतर जिम मुगति महासुखसंपति बहुभव संभव फेर, अंतर जिम बहु लवण कप्पूरह अंतर जिम पय खीर, ललियंग-कुमरवर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ॥७८ अडिल अंतर जिम पंडिय-जण मुक्खह, अंतर जिम नारयगइ मुक्खह, अंतर जेम दासि कुल-वहुअह, अंतर इक्क अनि बहु-बहुअह ।।७९ छंद बहु अंतर बहुइअ इक्क जिम अंतर बंभण जिम सोवाग, अंतर आयास धरणि जिम अंतर अंतर सल्लरि साग, अंतर जिम साधु अनि सावयजण अंतर सायरतीर, ललियंग-कुमरवर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ॥८० कलश षट्पद सायर सवि झलहलइँ चलइँ जव अट्ठ कुलाचल, धरणि धरइ आकंप कप्पि कंपइँ विसुराचल । चंद नविअ अंगार सूर सिरजइ तमभर (?) धाराधर नवि झरई धरइ नवि सेस सयल धर, सुपुरिस ससत्ति तोइ नवि चलइँ, निय-अंगीकिय-गुणवगुणि ललियंग-कुमरवर वीनती एह अम्ह वलि वलि निसुणि ॥८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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