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महाश्रमण भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गणधर गौतम के २५००वें निर्वाण पर्व पर प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के कर - कमलों में समर्पित की। पाठकों ने उत्साह के साथ अध्यन किया, जिससे यह द्वितीय संस्करण प्रकाशित कर रहे हैं । विश्वास है, कि इस पर चिन्तन करके सहृदय पाठक जीवन विकास को दिशा में आगे बढ़ेंगे।
अध्यक्ष
वीरायतन-राजगह
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