Book Title: Ratnakar Pacchisi Ane Prachin Sazzayadi Sangraha
Author(s): Umedchand Raichand Master
Publisher: Umedchand Raichand Master
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चन्द जी को है। आप की मृत्यु भी अचानक हुई इस कारण अन्यान्य धर्म कार्य जो आप चाहते थे, नहीं कर सके।
श्रीमती चम्पामनी बीबी धार्मिक और उदार प्रकृति की है। आपने पावापुरी धर्मशाला में कमरा बनाने के लिये तीन हजार रुपयों का दान किया है। आपने रलाकर शतक के मुद्रण का पूरा खर्च देना स्वीकार किया है। श्रीमान बा० नरेन्द्रकुमार जैन मैनेजर विहार बैंक बा० भानुकुमार जो के एकमात्र भतीजे हैं
और इस समय सारा कारोबार आपके देख-भाल में है, आप लगन के व्यक्ति हैं आपके हृदय में जैन साहित्य के प्रकाशन की प्रबल आकांक्षा है। आप उक्त माताजी को सर्वदा सुयोग धर्मकार्यों में दान देने की प्रेरणा करते रहते हैं। आप निरंतर यही कहते रहते हैं कि जैसे हो सके जैन धर्म और जैन साहित्य का प्रचार एवं प्रसार हो । श्री वीरप्रभु की भक्ति एवं श्री १०८ प्राचार्य देशभूशण महाराज का आशीवाद आपकी भावना को सवल बनायेंगे।
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