Book Title: Ratnakar Pacchisi Ane Prachin Sazzayadi Sangraha
Author(s): Umedchand Raichand Master
Publisher: Umedchand Raichand Master
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विस्तृत विवेचन सहित
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पर भी उसमें गति नहीं आती है। जो गुण पृथक् पृथक् पदार्थों में नहीं पाया जाता है, वह पदार्थों के समुदाय में कहाँ से आ जायगा ? जब चेतन क्रिया के कार्य इन्द्रियाँ, बुद्धि, हृदय और शरीर में पृथक् पृथक् नहीं पाये जाते हैं, तो फिर ये एकत्रित होने पर कहाँ से आ जायँगे ? ___ तर्क से भी यह बात साबित होती है कि शरीर बुद्धि, हृदय
और इन्द्रियों के समुदाय का व्यापार जिसके लिये होता है, वह इस संघात से भिन्न कोई अवश्य है, जो सब बातों को जानता है। वास्तव में शरीर तो एक कारखाना है, इन्द्रियाँ, बुद्धि, मन, हृदय प्रभृति उसमें काम करनेवाले हैं; पर इस कारखाने का मालिक कोई भिन्न ही है जिसे आत्मा कहा जा सकता है। अतएव प्रतीत होता है कि मानव शरीर के भीतर भौतिक पदार्थों के अतिरिक्त अन्य कोई सूक्ष्म पदार्थ है, जिसके कारण वह विश्व के पदार्थो को जानता, तथा देखता है। क्योंकि यह शक्ति प्राणी में ही पायी जाती है । यद्यपि आजकल विज्ञान के द्वारा निर्मित अनेक मशीनों में चलने फिरने, दौड़ने और विभिन्न प्रकार के काम करने की शक्ति देखी जाती है; पर उनमें भी सोचने, विचारने और अनुभव करने की शक्ति नहीं पायी जाती।
सचेतन प्राणी ही लाभ, हानि, गुण, दोष आदि का पूरा-पूरा
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