Book Title: Ratnakar Pacchisi Ane Prachin Sazzayadi Sangraha
Author(s): Umedchand Raichand Master
Publisher: Umedchand Raichand Master
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विस्तृत विवेचन सहित
संसार की नीरसता स्पष्ट दिखलायी पड़ती है । अब मुझे कल्याण के लिये अवसर मिल रहा है, अतः आप लोग शान्तिपूर्वक मुझे कल्याण करने दें । मृत्यु के पंजे से कोई भी नहीं बचा सकता हैं, आयु कर्म के समाप्त हो जाने पर कोई इस जीव को एक क्षण भी नहीं रख सकता है, अतः अब आप लोग मुझे क्षमा करें, मेरे अपराधों को भूल जायँ । मैंने इस जीवन में बड़े पाप किये हैं। क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष आदि से अभिभूत होकर अपनी और पर की नाना प्रकार से विराधना की है ।
जब आयु
समाधिमरण करनेवाले को शरीर से ममत्व घटाने के लिये क्रमशः पहले आहार का त्याग कर दुग्ध पान करना चाहिये; पश्चात् दूध का भी त्याग कर छाछ का अभ्यास करे। कुछ समय पश्चात् छाछ को छोड़ कर गर्म जल को पीकर रहे । दो-चार पहर शेष रह जावे तो शक्ति के अनुसार जलादि का भी त्याग कर उपवास करे । योग्यता और आवश्यकता के अनुसार ओढ़ने-पहरने के वस्त्रों को छोड़ शेष सभी वस्त्रों का त्याग कर दे। यदि शक्ति हो तो सभी प्रकार के परिग्रह का त्याग कर मुनित्रत धारण करे । जब तक शरीर में शक्ति रहे तृण के आसन पर पद्मासन लगा कर बैठ आत्म स्वरूप का चिन्तन करता रहे। जितने समय तक ध्यान में लीन रह सके, रहे । कुछ
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