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★ रल उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * लिए धारण करते हैं। दूसरा इसके साथ ही ज्योतिषीय विचार से भी इन रत्नउपरत्नों का विशेष महत्व है। हमारे प्राचीन शास्त्रों की ऐसी मान्यता है कि सभी रत्न तथा उपरत्नों में एक प्रकार की दैवी शक्ति निहित होती है। जिसके आधार पर ये धारक की ग्रह-बाधाओं को दूर कर उसके जीवन में सुख तथा शान्ति की स्थापना करते हैं। जहाँ तक रत्न और ग्रह-बाधा का प्रश्न है इस विषय में हमारा मत है कि रत्न और उपरत्न व्यक्ति की ग्रह-बाधाओं को दूर करने में पूरी तरह से समर्थ होते हैं। मैंने अपने ५० वर्षों के जीवन काल में अनेकों व्यक्तियों के अनिष्ट ग्रह निवारण हेतु उन्हें रत्न बतलाए, यन्त्र पूजा, पाठ इत्यादि बताए जिनसे प्रत्येक आदमी ने अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार भरपूर लाभ उठाया। उन्हीं अनुभवों के आधार पर एवं अपने प्रेमी पाठकों के अनुरोध पर इस प्राचीन ज्ञान को इस पुस्तक रूप में प्रकाशित किया गया है।
रत्नों का महत्व ज्योतिष और रत्न का आपस में बहुत गहरा सम्बन्ध है। मनुष्य सदा से ही तेज गति से उन्नति की ओर जाना चाहता है। सभी प्रकार की छोटी-बड़ी विपत्तियों से बचना चाहता है तथा वर्तमान समय में मनुष्य अपने जीवन में आने वाली घटनाओं के सम्बन्ध में जानना चाहता है। अत: ऋषियों महर्षियों ने भावी जीवन के सम्बन्ध में जानकारी हेतु अनेकों सिद्धान्तों को बनाया है।
जिसमें-ज्योतिष विद्या, सामुद्रिक शास्त्र, तान्त्रिक एवं रमल शास्त्र आदि प्रमुख है।
इस विश्व व ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुएँ लगातार चलती रहती हैं। जिससे सभी वस्तुएँ एक दूसरे को निश्चित रूप से किसी-न-किसी अंश में प्रभावित करती हैं। सौरमण्डल में स्थित ग्रह नक्षत्रों पर तथा भू-मण्डल पर स्थित प्राणियों एवं वस्तुओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यह विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित है।
सौरमण्डल का प्रत्येक ग्रह एक विशिष्ट वर्ण का प्रकाश प्रसारित करता है। उसकी किरणें उसी वर्ण में प्रसारित होकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के कण-कण को स्पर्श करती हैं। जिससे सृष्टि के सभी प्राणी भी उन किरणों
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