Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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सिद्धान्त एवं चर्चा ]
भण्डार ।
विशेष माहजहानाबाद नगर में लाला शोभापति ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवाई थी।
५८१ प्रति सं० ६ । पत्र सं० १७३ | ले० काल सं० १८२० बैशाख ख़ुदी १२ । ० मं० २१२ |
विशेष कही कहीं कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं। ५८२ प्रति सं० ७ ० ७५ १२४ ० काल २२३. सिद्धान्तसार दीपक पत्र [सं० ६
० १२३
२० काल XX | ले काल X। पूर्ण । वे० सं० २२४ । ख भण्डार |
विशेष – केवल ज्योतिलांक वर्शन वाला १४वां अधिकार है। ५४. प्रति सं० २०१०४ ०
०
पूर्ण
[ २७
० ५२५ ख भण्डार
५८४ सिद्धान्तसार भाषा -- नथमल बिलाला । पत्र सं सिद्धान्त १० का ० १८८५ मे काल X पूर्व ० ० १२४
५६६ प्रति सं० २१ पत्र सं० २५० | लेकाल४ । विशेष- रचनाकाल ''भण्डार की प्रति में है।
०२५२
भण्डार भाषा संस्कृत विषय सिद्धान्त ।
। श्र० १३३४५ च भाषा हिंदी
भण्डार
५० कु भण्डार |
५७. सिद्धान्तसारसंग्रह-आ० नरेन्द्रदेव प ० १४० १२४ भाषा मं विषयसिद्धान् काल X ० का ० ० ११२५ अण्टार
विशेष --- तृतीय अधिकार तक पूर्ण तथा चतुर्थ अधिकार
है।
१८८ प्रति सं० २ पत्र [सं० १०० । ० काम गं० २०६६।१०० १९४ | भष्टा
५८६ प्रति सं० ३ ० ५५ ० का ० १८२० मंसिर ८०० १५० भंडार विशेष पं० रामचन्द्र ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की थी।
५६०. सूत्रकृतांग । प० १५ से ५६० १०४२ भाषाप्रम २०० पू० मं० २३३
भण्डार
विशेष प्रारम्भ के १५ पत्र नहीं है प्रति टीका सहित है बहुत से दीमक मन में सदायें हैं तथा ऊर दी टीका है। इति श्री