Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१२० ] १८. मौनएकादशी स्तवन
[ गुटका-संग्रह ___ समयमुन्दर
हिन्दी रचना सं० १६८१ । जैसलमेर में रची गई। लिपि सं० १७५१।
५४३४. गुटका सं०५३। पत्र सं. २२५ । मा० ८६x४, इस 1 लेखनकान १७७५ | पूर्ण ।
दशा-सामान्य ।
१. राजाचन्द्रगुप्त की चौपई
ब्रह्मरामनल्ला ३. निरिएका मावा
भैया भगवतीदास पद३. प्रभुजी जो तुम तारक नाम परायो हर्षचन्द्र ४. माज नामि के द्वार भीर
हरिसिंह ५. तुम सेवामें जाय सो ही सफल घरी बलाराम ६. चरन कमल उठि प्रास देख मैं ७, सोही सन्त शिरोमनि जिनवर गुन गावे ५. मंगम आरती कीजे भोर
९. भारती कीजै श्री नेमकंवरकी
भूधरदास
१. बंदी दिगम्बर गुरु चरन जग तरन
तारन बान
११. त्रिभुवन स्वामीजी करुणा निधि नामीजी
साईदास
१२, बाजा बजिया गहरा जहाँ जन्म्या हो
ऋषभ कुमार १३. नेम कंवरजी थे सजिप्राया १४. भट्टारक महेन्द्रकोलिनी की जकड़ी १५. महो जगत्गुरु जगपति परमानंद निधान १६. देख्या दुनिया के बीच बे कोई
अजब तमाशा १७. विनती बंदों भी परहंतदेव सारद
नित्य सुमरण हिरदै धरू'
महेन्द्रकोति भूधरदास