Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
गुटक]-संग्रह..
१. मूल क्यों गया जी म्हानें
२. जिन छवि पर बाऊं मैं वारी
३. श्रंखिया लगी तेड़े
?
४. हगनि सुख पायो जिनगर देखि
५. लगन मोहे लगी देखन की
६. जिनबी का ध्यान में मन लगि रह्यो
७. प्रभु मिल्या दीवानी विडीया कैसे किया स
नहीं ऐसो जनम बारम्बार
६.नन्द्र
प्राज हमारे
१०. जिन भजो सोही जोरो
११. सुभ पंच लगो ज्यो होय भला
१२. मनकी हो कुटिलता
१३. सबन में दया है धर्म को मूल
१४. दुख काह नहीं दीजे रे भाई
१५ मारण लाग्यो
१६. जिम चरण पित लगाय मन
१७. हे मां जा मिलिये श्री नेमकंबार
१८. म्हारो लाग्यो प्रभु सूनेह
१६. या ही संग नेह सम्दी है २०. पां पर वारी हो जिनराय
२१. मो मन थ ही संग लाग्यो
२२. धनि घड़ी ये भई देखे, प्रभु नैना'
२२. वीररी पीर मोरी क़ासों कहिये
२४. जिनराय व्यायो सदि भाव से
२५. समी जाब जादो पति को समझा
२६. प्रभुजी म्हारी बिनती मवधारी हो. राज
#
1
X
X
X
बुधजन
X
नवलराम
X
नवलराम'
73
93
19
X
नवलराम
33
"
"3
59
15
राम
"
19
"3
13
is
: +[
ان
11
हिन्दी
33
23
"
33
"
35
"
"3
33
33
77
77
"
12
35
"
39
"
13
1
37
73
37
"
"
2
fir
35
[ ६५३
ર
२
२
३
३
x
ર
५.
X
६
F
६
Ε
१०
€
१
C
११
११
२