Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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(सं.)
। प्रन्थानुक्रमणिका ग्रन्थनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । अन्थनाम
लेखक भाषा पृष्ठ सर वृत्तरत्नाकरछन्दटोका समयसुन्दरगणि (सं.) ३१४ |
६०३, ६३६, ६८६, ६६५, ७६८, ७६४ वृत्तरत्नाकरटीका सुल्हणकवि (सं०) ३१४ वैद्यवल्लभ
- (सं.) ३०४, ७३८ वृन्दसतई वृन्दकवि (हि.) ३३६ वैद्य विनोद
भट्टशङ्कर (सं०) ३०५ ६७५, ७४५, ७५१, ७५२, ७६६ | वैद्यविनोद
(हि.) ३०५ वृहदकालिकुण्डपुजा - (सं.) ६३६ । वैद्यसार
(सं०) ५३ वृहृदुकल्याण (हिक) ५७ [ वैचामृत
माणिक्यभट्ट (मं०) ३०५ वृहद्गुरावलीशांतिमण्डलपूजा | चौसठऋद्धिपूजा] | वैश्याकरणभूषण कौनभट्ट (सं०) २६३ स्वरूपचन्द (हि०) ५४१ | वैश्याकरणभूषण
(सं.) २६३ खुद्घटाकर्णकल्य कवि भोगीलाल (हि०) ७२६ | वैराग्यनीत [उदरगीत] छीहल बृहद्वारिणक्यनीतिशास्त्रभाषा मिश्ररामराय (1) यौन
भारत
(हा) ४१६ वृहदुचारिणत्वराजनीति चाणक्य (सं०) ७१२ | वैराग्यपच्चीसी भगवतीदास (हि.) ६८५ बृहज्जातक भट्टोत्पल सं०) २६१ | वैराग्यशतक
भतृहरि (सं) ११७ वृहदनवकार
- (सं०) ४३१ | व्याकरण बृहप्रतिक्रमण (10) ८६, ७ ध्याकारण्टीका
(c) २६४ वृहदप्रतिक्रमण (प्रा०) ८६ | शाकरणभाषाटीका
(मं०) २६४ वृहदषोडशकारगपूजा (सं.) ५०६, ७३० प्रतकमाकोश पं. दामोदर
(म०) २४१ बृहन्शांतिस्तोत्र
सं.) ४२३ प्रतकथाकोश देवेन्द्रकीर्ति सं०) २४२ बृहदरमपन विधि
(सं०) ६५८ प्रतकथाकोश श्रुतसागर (सं०) २४१ बृहदुस्वयंभूस्तोत्र समन्तभद्र
(म) ५७२ प्रतकथाकोश सकलकीति (०) २४२ ६२८, ६९१ प्राधा कोश
(सं०) २४४ वृहस्पतिविचार
व्रतकथाकोश
- (संग्रा०) २४२ वृहस्पतिविधान (सं०) ५४० प्रतकथाकोश
खुशालचन्द (हि.) २४४" वृहसिद्धचक्र | मण्डलचित्र]
प्रतकथाकोश वैदरभी विवाह पेमराज (हि०) २४०
अतकथासंग्रह
(सं.) २४६ वैद्मकमार (सं०) ३०४ ग्रतकथासंग्रह
(अप०) २४५ वैद्यकसारोद्धार हर्षकीतिसूरि (म०) ३.५ व्रतकथासंग्रह महतिसागर (हि०) २४६ वैद्यजीवन लोलिम्बराज (सं.) ३०३, ७१५ | व्रतकथासंग्रह
(हि.) २४७ वैद्यजीवनग्रन्थ
- (सं०) ३०३ | प्रतजयमाला सुमतिसागर (हि) ७६५ वैद्यजीन नटोका रुभट्ट (सं०) ३०४ नतनाम
(हि.) ५३६ बैद्यमनोत्सव
नयनसुख (हि०) ३०४ / वतनामावली
gilli li lllulli ilihali
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