Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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६६ ]
ग्रंथकार का नाम
ग्रंथ नांम
पं० मंगल ( संग्रह कर्त्ता ) - धर्मरत्नाकर
मणिभद्र -
मदनकीत्ति
मदनपाल -
मानमिश्र --
मल्लि भूषणमल्लिषेणसूरि
मदनविनोद
भावप्रकाश
मधुसूदनसरस्वती- सिद्धान्तबिन्दु
योगचिन्तामरिण
मनूसिंह - मनोहरश्याम
मल्लिनाथसूरि
महादेव
महासेनाचार्य - महीपणकविभ० महीचन्द -
ग्रंथ सूची की प्रथकार का नाम
पत्र सं०
६२
महीधर --
महीभट्टीमहेश्वर
क्षेत्रपाल पूजा
अनंतव्रत विधान
विधान
श्रुतबोधटीका
रघुवंशटीका
२४९
माणिक्यनंदि --
२७०
माणिक्यभट्ट -
३०१ माणिक्यसूरि
३१५.
१६३
शिशुपालवधटीका १११ माघवदेव-
दशलक्षणश्रतोद्यापन ४०६
मानतु गाचार्य
नागकुमारचरित्र १७५
भैरवपद्यावलोक्य ३४६
सज्जनवित्तवल्लभ ३३७
५७३
स्याद्वदमंजरी
मुहूर्त्तदीपक
सिद्धान्तमुक्तावलि प्रद्य ुम्नचरित्र
अनेकार्थध्वनिमंजरी
त्रिलोकतिलकस्तोत्र
६८६
माघ --
२१४ माघनंदि -
૪
३००
पूजा
पद्मावतीचंद
मंत्रमहोदधि
स्वर्णाकर्षणा विधान
सारस्वतप्रक्रिया टोका
विश्वप्रकाश
६८२, ७१२
६०७
५६०, ६०७
१४१
२६०
१४० मुनिभद्र
१८०
२७१
३५१,५७७
पं० मेधावी -
भ· मेरुचंद
मोहन -
यशः कीर्त्ति -
|
ग्रंथ नाम
४२० यशोनन्दि -
२६७
२७७
ग्रंथ एवं मन्थकार
नलोदयकाव्य
माधवचन्द्रत्रैविद्यदेव - त्रिलोकसारवृत्ति
क्षपणासारवृत्ति
ग्रंथ सूची की
पत्र सं०
शब्द व धातुभेदप्रमेद
शिशुपालवध
परीक्षामुख
वैद्यामृत
तितीर्थंकर
जयमाल ३८८, ४६६
५.७६
१३६
३०५
न्यायसार
भक्तामर स्तोत्र
२७७
१८६
७
१३५
४०७,
४२५, ४२६, ४३१. ५६६,
५६६, ६०, ६०५, ६१९, ६२८, ६३४, ६३७, ६३६, ६४४, ६४८, ६५१, ६५२, ६६४, ६६५, ६७०, ६८१, ६८५, ६६१, ७०३, ७०५, ७०६७०७७४१
शांतिनामस्तोत्र ४१७, ७१५
प्रष्ट गोपाख्यान
धर्म संग्रहभावकाचार
अन्ततुर्दशी पूजा
कलश विधान
१७४
३२२
२१५
ܝܪܪ
६०७
४६६
६४५
श्रष्टाका का
धर्माभ्युदयीका
प्रबोधसार
३३१
४६१, ५१५
-धर्मचक्र पूजा पंचपरमेष्ठीपूजाविधि ५०२,
५०६, ५१८
૭૪
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