Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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शुद्धाशुद्धि पत्र ]
। १४१
अशुद्ध पाठ
शुद्ध पाठ
पन्न एवं पंक्ति १३१४१ १४०x२८ १४१४७ १४४x७
१७२८
र०काल १०४० सं०१४५ क्र० सं०३०११ मे ३०५८ रह
१६५४१ १७१से१७६ १७६४२८ १८१४१७ १४२४६ १९२४१४
५८२७ १० कालर्स १६६४
ले० काल २०४० सं.१५८५ क० सं० २१०० से २१४६ कवि तेजपाल नाहमल २३१८ भट्टारक १७१५
आकाशपंचमीकथा देवेन्द्रकीति वर्तमानमानम्य ३१२०
३२१८ भट्टार १७७५ प्रकाशपंचमीकथा धर्मचन्द्र बद्ध मानमानस्य
२१६४११ २१४६
२६४४१६ ३११.१२ ३१८x१० ३२०४१५ ३३६४१३
३२८ नेमिचन्द्राचार्य
पद्मनन्दि
भक्तिलाल ३६८-३७५ कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका
३८५४१ ३८६४५ ३६६४४
भक्तिलाम ३६६-३७६ कल्याणमाला और कनक कुशल भूपाल चतुर्विंशतिटीका हिन्दी भादवासुदी पञ्चगुरुकल्याण पूजा पाटोदी
४५६४२५ ४३४४१२ ५०२४८ ५५७२
भूपाल चतुर्विशति संस्कृत भाद पञ्चगुरुकल्यणा पूजा पाटोंकी
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