Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 949
________________ प्रथकारक नाम अभयचन्दनणिअभयदेवसूरि - इन्द्रनंदि कार्त्तिकेय - कुंदकुंदाचार्य— गौतमस्वामी - जिनभद्रगणि ढाढस मुनिदेवसूरि ग्रंथ एवं ग्रंथकार → प्राकृत भाषा ग्रंथ नाम ऋण संबंध कथा जयतिहूवरणस्तोत्र रे ग्रंथ सूची की | ग्रंथकार का नाम पत्र सं० छेदविण् प्रायश्चितविधि कार्तिकेयानुप्रेक्षा अष्टपाहुड पंचास्तिकाय ६६ ४० ११२ ३८ ११५. ५७३ रु ४ ११७ ११७, ७४८ ११६, २७४, ७३७, ७६२ गौतम कुलक १४ संबोधचालिका ११९, १२८ अर्थदिनिका १ ढाढसीगाथा यतिदिनचर्या जो विचार प्रवचनसार नियमसार बोधामृत यतिभावनाक रयणसार लिंगपाड पटू राहुड समयसार २१८ देवसेन - ७५४ ! ३११ ५.७ ७४ १०३ ७०७ ८ १ ६१६ देवेन्द्रसूरे धर्मचन्द्र — धर्मदासगरि - नन्दिषेण भंडारी नेमिचन्द्र नेमिचन्द्राचार्य - ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची की पत्र संब · अाराधनासार YE ५७२, ५७३, ६२, ६३५, ७०६, ७३७ ७४४ २०, ५७५ तत्वसार ६३७, ७३७, ७४४, ७४७ दर्शनसार नयचक्र भाव संग्रह कर्म तवसूत्र धर्मचन्द्र प्रबन्ध उपदेश रत्नमाला अजितवान्तिस्तवन उपसिद्धान्त रत्नमाला याश्रभिंगो कर्म प्रकृति गोम्मटसार कर्मकाण्ड गोम्मटसारजीवकाण्ड १३३ १३४ ५१ २ ३ ५२ E, १६, ७२० १५ ७३२ ३१ ३२, ५७५, ६२८, ७४४ चतुरविशतिस्थानक जीवविचार विभंगीसार द्रव्यसंग्रह ७७ ५ ३६६ ५० ३७९

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