Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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७२४ ]
भरत ग्रूप घरही में वरागी
"
८. लुहरो हो सुन जीव अरज हमारी या
१. परमार
१०. पक्ष भबि रिवदि से चन्द्रस्वामी
११. जीव शिव देश ले पधारो
१२.
जीव मेरे जिरगवर नाम मजो
१३.
योगी या तुइ देश
१४. परहंत गुण गायो भावी मन भावी
७.
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31
23
१५. १
१६. परमानन्दस्तोष
१७. पदटपटादि नेननि गोबर जी
नाटिक पुद्दल कैरो
जिय तें नरभव योंही सोयी
मंत्रियों का पवित्र भ
१५.
१९.
२०. बनी बन्यो है मात्र हेली नेमौसुर
जिन देखीयो
२१. नमो नमो जे श्री परिहंत
13
२२. माधुरी जिनवानी सुन हे माधुरी
ॐ
२२. सिव देवी माता को भाठयों
२४. पद
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37
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२५. "
२६.
गिर देखत दालिद्र माज्या
39
हलदी चौडी तेल चोपी सपन
कुमारि का
जे जदि साहरिण ल्यायो नोली घोड़ीया
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२७.
२८. सभ्य पद
२१८ ।
कनरुकीति
सभावन्द
X
रूपचन्द
सुन्दर
X
X
श्रजयराज
X
कुमुदचन्द्र
मनराम
मनराम
उ
लगतराम
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我
मुनि शुभचन्द्र
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33
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72
12
13
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29
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संस्कृत
हिन्दी
93
13
33
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ני
35
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[ गुटका संग्रह
२०-२१
२१-२२
२२-२३
२७
२८
२१
२६
२६-३१
३१
३२-३५
३६
३२
४०
४१
४२-४४
४४-४६
४६-४८
४८-४९
४१-५१
५१-५३
५३-५६
५५३७. गुटका सं० ३ पत्र मं० ६ १२९ ० ६२४३५० से० काल X पूर्ण वे० सं०
ने