Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 886
________________ ० ८२२ [ प्रन्थानुक्रमणिका प्रधनाम लेखक भाषा पृष्ठ सं० । अन्यनाम लेखक भाषा पृन सं० । जिनपक्षरस्तोत्र (सं०) ३६. | ६५, ६८३, ६८६, ६६२, ७१२, ७१५, ७२०, ७५२, | ७४० । ६४७, ६४८, ६६३ | जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य (सं.) ३६३ जिनपञ्जरम्तोत्रभाषा स्वरूपचन्द (हि.) ५११ ] ४२५, ५७३, ७०७, ७४७ जिनभक्तिपद हर्षकीत्ति (हि०) ४३८, ३२१ | जिनसहस्रनाम सिद्धसेन दिवाकर (सं.) ३६३ जिनमुखा लोकनकथा - (सं.) २४६ | जिनसहस्रनाम [लघु - (सं.) ३६३ जिनयज्ञकल्प [प्रतिष्ठासार] पं० श्राशाधर (सं०) ४७८ जिनसहस्रनामभाषा बनारसीदास (हि०) ६६०, ७४६ जिनसहननामभाषा नाथूराम (हि.) ३६३ जिनयज्ञविधान - (सं०) ४७६, ६५५ जिनसहस्रनोमटीका अमरकीर्ति (सं०) ३६३ , जिनयशमङ्गल सेबगराम (हि.) ४४७ जिनसहस्त्रनामटीका श्रतसागर (स) ३६३ जिन जमहिमास्तोत्र - (हि.) ५७६ जिनसहस्रनामटोका (सं.) ३६३ जिनरात्रिविधानकथा - (स.) २४२ जिनसहस्रनामपूजा धर्मभूषण (सं.) ४८० जिनरात्रिविधानकथा नर सेन (अप०) ६२८ जिनसहस्रनामपूजा - (सं०) ५१० जिनरात्रिविधानकथा - अप०) २४६, ६३१ जिनसहस्रनामपूजा चैनसुख लुहादिया (हि.) ४५० जिनरात्रिव्रतकथा ज्ञानसागर (हि०) २२० जिनसहस्रनामपूजा स्वरूपचन्द विलाला (हि०) ४८० जिनानाडू ब्र० रायमझ (हि.) ७३८ जिनस्नपन [अभिषेकपा] - (सं०) ४७६, ५७४ जिनवरकी विनती देवापांडे जिनसहस्रनामपूजा - (हि.) ४५१ जिनवर दर्शन पानन्दि (प्रा.) ३६. जिनस्तवन कनककीर्ति (हि.) ७७६ जिनवाव्रतजयमाल बगुलाल (हि०) ३६० जिनस्तवन (हि.) ७०७ जिनवरस्तुति (हि) ७६७ जिनस्तवनद्वात्रिशिका (सं०) ३६१ जिनवरस्तोत्र -- (सं0) ३६०, ५७८ जिनस्तुति शोभनमुनि (सं.) २६ जिनवाणीस्तवन जगतराम (हि०) ३६० जिनस्तुति जोधराज गोदीका (हि.) ४७६ जिनशतकटीका नरसिंह (सं०) ३६१ | | जिनस्तुति रुपचन्द (हि०) ७०३ जिनशतकटीका शंसाधु (सं०) ३६० जिनसंहिता सुमतिकीति (हि.) ७६३ जिनशतकालद्वार समन्तभद्र (सं०) ६६१ जिनस्तुति जिनशासनभक्ति (प्रा.) ६३८ जिनानन्तर (हि.) ६२७ जिनसतसई (हि.) ७०६ । जिनाभिषेकनिर्णय जिनसहस्रनाम पं० श्राशाधर (सं.) ३६१ | जिनेन्द्रपुराण भः जिनेन्द्रभूषण (स.) १४६ ५४०,५६६, ६०५,६०७, ६३६, ६४६, ६४७, ६५५, जिनेन्द्र भक्तिस्तोत्र (हि.) ४२८

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